पहला प्रश्न परमेश्वर ने अब्राम को दर्शन में क्या आषीषे दी ?
इसका जवाब है इन बातों के पश्चात यहोवा का यह वचन दर्शन में अब्राम के पास पहुंचा, कि हे अब्राम, मत डर; तेरी ढाल और तेरा अत्यन्त बड़ा फल मैं हूं। अब्राम ने कहा, हे प्रभु यहोवा मैं तो निर्वंश हूं, और मेरे घर का वारिस यह दमिश्की एलीएजेर होगा, सो तू मुझे क्या देगा? और अब्राम ने कहा, मुझे तो तू ने वंश नहीं दिया, और क्या देखता हूं, कि मेरे घर में उत्पन्न हुआ एक जन मेरा वारिस होगा। तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा, कि यह तेरा वारिस न होगा, तेरा जो निज पुत्र होगा, वही तेरा वारिस होगा। और उसने उसको बाहर ले जाके कहा, आकाश की ओर दृष्टि करके तारागण को गिन, क्या तू उन को गिन सकता है? फिर उसने उससे कहा, तेरा वंश ऐसा ही होगा। उसने यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना।
उत्पत्ति - अध्याय 15 वचन 1 से 6
दूसरा प्रश्न जब अब्राम को परमेश्वर ने आशीष दी तो अब्राम ने परमेश्वर से क्या कहा ?
इसका जवाब है! और उसने उससे कहा मैं वही यहोवा हूं जो तुझे कस्दियों के ऊर नगर से बाहर ले आया, कि तुझ को इस देश का अधिकार दूं। उसने कहा, हे प्रभु यहोवा मैं कैसे जानूं कि मैं इसका अधिकारी हूंगा?
उत्पत्ति - अध्याय 15 वचन 7 से 8
तीसरा प्रश्न परमेश्वर ने अब्राम को विश्वास दिलाने के लिए क्या करने को कहा ? और ऐसा करने का क्या मतलब है ?
इसका जवाब है! यहोवा ने उससे कहा, मेरे लिये तीन वर्ष की एक कलोर, और तीन वर्ष की एक बकरी, और तीन वर्ष का एक मेंढ़ा, और एक पिण्डुक और कबूतर का एक बच्चा ले। और इन सभों को ले कर, उसने बीच में से दो टुकड़े कर दिया, और टुकड़ों को आम्हने-साम्हने रखा: पर चिडिय़ाओं को उसने टुकड़े न किया।
जिसका मतलब है की परमेश्वर अब्राम से एक वादा करने जा रहा था ये तरीका उस समय का एक रिवाज होता था । जिसमे बलिदान की वास्तु के दो टुकड़े कर के आमने सामने रखा जाता था और जिसने वादा किया है वह उस बलिदान के बीच से हो कर चलता था और परमेश्वर ने अब्राम को आशीष देने का वादा किया था । इसलिए परमेश्वर ने बलिदान की वास्तु को दो टुकड़े करके उसे आमने सामने रखने को कहा क्युकी परमेश्वर उस बलिदान के बीच से हो कर जाने वाला था जिससे अब्राम को इस बात का विश्वास हो जाता की परमेश्वर उसे आशीष देगा ।
उत्पत्ति - अध्याय 15 वचन 9 से 10
चौथा प्रश्न परमेश्वर ने अब्राम को भारी नींद में डाल कर अब्राम से क्या बात चित की ?
इसका जवाब है! जब सूर्य अस्त होने लगा, तब अब्राम को भारी नींद आई; और देखो, अत्यन्त भय और अन्धकार ने उसे छा लिया। तब यहोवा ने अब्राम से कहा, यह निश्चय जान कि तेरे वंश पराए देश में परदेशी हो कर रहेंगे, और उसके देश के लोगों के दास हो जाएंगे; और वे उन को चार सौ वर्ष लों दु:ख देंगे; फिर जिस देश के वे दास होंगे उसको मैं दण्ड दूंगा: और उसके पश्चात वे बड़ा धन वहां से ले कर निकल आएंगे। तू तो अपने पितरों में कुशल के साथ मिल जाएगा; तुझे पूरे बुढ़ापे में मिट्टी दी जाएगी। पर वे चौथी पीढ़ी में यहां फिर आएंगे: क्योंकि अब तक एमोरियों का अधर्म पूरा नहीं हुआ।
उत्पत्ति - अध्याय 15 वचन 12 से 16
पांचवा प्रश्न परमेश्वर जब बलिदान की हुई वस्तुओ से गुजरने के लिए आने वाला था तब परमेश्वर का आना कैसा था और परमेश्वर ने अब्राम के वश में किन देशो को कर दिया ?
इसका जवाब है! और ऐसा हुआ कि जब सूर्य अस्त हो गया और घोर अन्धकार छा गया, तब एक अंगेठी जिस में से धुआं उठता था और एक जलता हुआ पतीला देख पड़ा जो उन टुकड़ों के बीच में से हो कर निकल गया उसी दिन यहोवा ने अब्राम के साथ यह वाचा बान्धी, कि मिस्र के महानद से ले कर परात नाम बड़े नद तक जितना देश है अर्थात, केनियों, कनिज्जियों, कद्क़ोनियों हित्तियों, परीज्जियों, रपाइयों एमोरियों, कनानियों, गिर्गाशियों और यबूसियों का देश मैं ने तेरे वंश को दिया है॥
उत्पत्ति - अध्याय 15 वचन 17 से 21
याद करने के लिए वचन
और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना असंभव है; क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए कि वह है, और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है। इब्रानियों - अध्याय 11 : 6
Permeshwer asheesh de aap ko in sabhi vishyon ko humko samjhane k liye
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