1. प्रश्न : गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है ?
गुड फ्राइडे एक ऐसा दिन जिसे मसीह समुदाय के लोग हर साल धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं!. इस दिन मसीह धर्म के अनुयायी प्रभु येशु मसीह को सूली पर चढ़ा दिया गया था! और उन्होंने प्राण त्याग दिए थे! इसी दिन के याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है!
2. प्रश्न : इस दिन को गुड फ्राइडे क्यों कहा जाता है ?
क्योंकि इस दिन प्रभु यीशु ने लोगों की भलाई के लिए अपनी जान दे दी थी! इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे का नाम दिया गया! इस दिन को शोक दिवस की तरह मनाया जाता है! यह अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से हमेशा अप्रैल के महीने में पड़ता है!
3 प्रश्न : बाइबल के मुताबिक यह दिन इतना खास क्यों है ?
बाइबिल के मुताबिक यह दिन मसीहियों के लिए बेहद खास है! जो ईस्टर सन्डे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को आता है! शुक्रवार को सूली पर लटाकाए जाने के बाद उनकी मौत हो गई थी! लेकिन अपनी मौत के तीन दिन बाद प्रभु येशु फिर जीवित हो उठे! इस दिन को ईस्टर कहते हैं!
4 प्रश्न : क्यों सूली पर लटकाए गए यीशु ?
आज से 2000 साल पहले प्रभु यीशु मसीह ने लोगों को सही राह दिखाने की पहल की थी! जो यहूदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं को बिल्कुल भी सहन नहीं हुआ! और उन्होंने इसी वजह से यीशु मसीह का विरोध किया! धर्मगुरुओं को यीशु में मसीहा वाली कोई बात नजर नहीं आ रही थी! इसलिए कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने इस बात की शिकायत रोमन गवर्नर पिलातुस से की! जिसके बाद पिलातुस ने यीशु को सूली पर चढ़ाने की सजा सुनाई!
5 प्रश्न : सजा सुनाए जाने के बाद प्रभु येशु मसीह से कैसा वयवहार किया गया ?
क्रूस पर लटकाए जाने से पहले प्रभु येशु को अनेक तरह की अमानवीय यातनाएं दी गईं थी! उनके सिर पर कांटों का ताज रखा गया था! क्रूस को अपने कंधे पर उठाकर ले जाने के लिए भी बाध्य किया गया! उन पर कोड़े और चाबुक लगाए गए! उन पर थूका गया था! पित्त मिला हुआ शराब पीने को दिया गया और दो अपराधियों के साथ सूली पर बेरहमी से कीलों से ठोक दिया गया!
6 प्रश्न : क्रूस पर प्रभु येशु मसीह द्वारा कहे गए अंतिम सात वचन क्या है ?
१. पहला वचन है − क्षमा।
हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं (लुका 23: 33–38)
२. दूसरा वचन है − उद्वार।
उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा' (लुका 23: 39-63)
३. तीसरा वचन है − प्रेम।
यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा: हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है। तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया'' (यूहन्ना 19: 25-27)
४. चौथा वचन है − क्रोध।
दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक उस सारे देश में अन्धेरा छाया रहा। तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?'' (मत्ती - अध्याय 27 : 46)
५. पांचवा वचन है − दुख उठाना।
इस के बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका; इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूं। (यूहन्ना 19: 24-28
6. छटवां वचन है − प्रायश्चित।
जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा पूरा हुआ और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए'' (यूहन्ना 19:30)
७. सांतवा वचन − परमेश्वर से प्रतिबद्वता।
'और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं: और यह कहकर प्राण छोड़ दिए'' (लूका 23:46)
याद करने के लिए वचन!
यूहन्ना अध्याय 3: 16 तीन का सोलह - क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा! कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया! ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे! वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए!
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